कैसा हो हमारा भोजन? सात्त्विक, राजस और तामस भोजन की गूढ़ समझ | Bhagavad Gita का अद्भुत रहस्य

 



🚩 जय श्रीकृष्ण मित्रों! आपका स्वागत है हमारे आध्यात्मिक चैनल पर, जहाँ हम धर्मशास्त्रों के माध्यम से जीवन की उलझनों का समाधान खोजते हैं।

आज हम एक बहुत गहन विषय पर चर्चा करेंगे —

"जो जैसा खाता है,

वो वैसा ही सोचता है,

और जैसा सोचता है,

वैसा ही बनता है। क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी चिंताओं, क्रोध या आलस्य का कारण...

आपकी थाली में पड़ा खाना भी हो सकता है?

आज हम जानेंगे श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए तीन प्रकार के भोजन — सात्त्विक, राजस और तामस — और उनका हमारे जीवन पर प्रभाव।"




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आज का विषय - भोजन के तीन प्रकार

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17, श्लोक 7-10 में श्रीकृष्ण ने भोजन को तीन गुणों में बाँटा है:

  1. सात्त्विक भोजन (Shuddh, Hitkaarak, Manprasann)
  2. राजस भोजन (Teekshn, Katu, Raktabadhak)
  3. तामस भोजन (बासी, दुर्गंधयुक्त, अपवित्र)


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1. सात्त्विक भोजन क्या है?

सात्त्विक भोजन वह है जो शरीर को शक्ति, मन को शांति और आत्मा को प्रकाश देता है।

उदाहरण:

  • ताजा फल, हरी सब्जियाँ
  • गाय का दूध, देसी घी
  • अंकुरित अनाज, शुद्ध अन्न
  • घर का बना सात्विक भोजन

लक्षण:

  • हल्का, सुपाच्य, प्राणवर्धक
  • प्रेम और श्रद्धा से बना
  • समय पर, सीमित मात्रा में खाया जाए

भावना: "यज्ञार्थ भोजन, ईश्वर को अर्पित करके खाया गया भोजन ही वास्तविक रूप से सात्त्विक है।"


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2. राजस भोजन क्या है?

राजस भोजन इंद्रियों को भड़काता है, लालसा और क्रोध को बढ़ाता है।

उदाहरण:

  • अत्यधिक मसालेदार, तीखा, नमकीन
  • फास्ट फूड, डीप फ्राईड स्नैक्स
  • कैफीन युक्त पेय, गैस वाले ड्रिंक्स

प्रभाव:

  • बेचैनी, चंचलता, नींद में कमी
  • अधिक बोलना, अस्थिरता, लालच
  • स्थायी संतोष का अभाव


🍗
3. तामस भोजन क्या है?

तामस भोजन आलस्य, अज्ञान और नकारात्मकता को जन्म देता है।

उदाहरण:

  • बासी खाना, डिब्बाबंद या फ्रिज में पड़ा पुराना भोजन
  • मांस, मदिरा, अधिक तला हुआ या जलाया गया भोजन
  • बिना भावना, बिना श्रद्धा से बना खाना

प्रभाव:

  • सुस्ती, मोह, असंवेदनशीलता
  • बीमारियाँ, अशुद्ध विचार, आत्मा से दूरी


🧠
दृष्टिकोण का प्रभाव: भोजन में दृष्टिदोष

भोजन केवल पदार्थ नहीं, भावना का भी संग्रह है। यदि रसोईया क्रोध में हो, लोभ में हो, तो वह भोजन दृष्टिदोष से भर जाता है। भले ही सामग्री शुद्ध हो, भावना दूषित हो तो वह तामस भोजन के समान हो जाता है।

💡 उपाय:

  • भोजन बनाते समय भगवान का नाम लें
  • प्रेमपूर्वक भोजन बनाएं
  • 'हरि अर्पण' भावना से भोजन को समर्पित करें


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धार्मिक दृष्टिकोण से - क्यों भोजन पूजा है?

भगवान को भोग लगाए बिना खाया गया भोजन, आत्मा के लिए भारी हो जाता है। "जो भोजन भगवान को अर्पित करके खाया जाए, वही प्रसाद बनकर शरीर और आत्मा दोनों को पुष्ट करता है।"

गीता में कहा गया: "अन्नं ब्रह्म" – भोजन भी ब्रह्म है। जो अन्न को ईश्वररूप मानकर ग्रहण करता है, उसमें विकार नहीं आता।

🧭 आधुनिक लाभ – मानसिक शांति से लेकर रोग निवारण तक

सात्त्विक भोजन:

तनाव कम करता है

पाचन शक्ति बढ़ाता है

एकाग्रता और मन की स्थिरता बढ़ाता है

आध्यात्मिक साधना में सहायता करता है


🧩
Quiz Section (Today's Interactive Question):

प्रश्न: निम्न में से कौन-सा भोजन सात्त्विक की श्रेणी में आता है?

A) चाउमीन और बर्गर

B) दूध और फल

C) शराब और बासी मांस

D) तीखा और तला हुआ खाना


सही उत्तर:
B) दूध और फल

कारण: ये सुपाच्य, शुद्ध, मन को प्रसन्न करने वाले तथा आत्मा को बल देने वाले सात्त्विक पदार्थ हैं।


💬 अगर आपने अपने जीवन में भोजन बदलकर मनोदशा में बदलाव देखा हो — तो कृपया कमेंट में जरूर लिखें। हम आपके अनुभव को अगले वीडियो में शामिल करेंगे। 📢 और अगर आप चाहते हैं कि हम आपके किसी प्रश्न का समाधान धर्म और भक्ति की दृष्टि से करें, तो भी कमेंट में जरूर पूछें।

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