॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 11 श्लोक 53 - ✨ 🔥 कर्मों से नहीं — केवल भक्ति से 🙏 🌟 🌺 🌀 ""आपने कभी महसूस किया हो — कि आपने सब कुछ किया… व्रत, पूजा, दान, पाठ — फिर भी भगवान दूर क्यों लगते हैं?"" 👉 आज श्रीकृष्ण इसी का उत्तर देते हैं — कि कौन-सी चीज़ हमें ईश्वर के दर्शन से वंचित रखती है और कौन-सी भावना उन्हें साक्षात प्रकट कर देती है। 🙏 स्वागत है आपका Jagat Ka Saar में — जहाँ गीता हर श्लोक में मन और आत्मा का उत्तर देती है। 🕉️ 🙏 जय श्रीकृष्ण! भारतीय जीवन-दर्शन की दृष्टि से किसी भी ग्रंथ की वास्तविक उपयोगिता इस बात पर निर्भर करती है कि वह मानव को उसके परम लक्ष्य तक पहुँचाने में कितनी सहायक सिद्ध होती है। इस कसौटी पर अगर कोई ग्रंथ सर्वाधिक खरा उतरता है, तो वह है – श्रीमद्भगवद्गीता। यह न केवल हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, बल्कि आत्मा की मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। अब रुकिए — एक सवाल है आपसे... क्या आप सच में इस दिव्य ज्ञान को अधूरा छोड़ना चाहेंगे? थोड़ा सोचिए… जब किसी को स्वयं प्रभु की वाणी सुनने का अवसर मिलता है, तो क्या वह अवस...