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Showing posts with the label गीता का सार (Geeta Ka Saar) अध्याय 12

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 20 - 🔥भगवान को अति प्रिय भक्त🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 20 - 🔥भगवान को अति प्रिय भक्त🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 18 से 19 - 🔥आत्मज्ञानी भक्त के सर्वोच्च गुण🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥  "क्या आप उन लोगों से हैं जो प्रशंसा में प्रसन्न और आलोचना में क्रोधित हो जाते हैं? क्या मन कभी अपमान और मान-सम्मान के बीच उलझा रहता है? 👉 अगर हाँ, तो आज का ज्ञान आपके लिए एक जागृति का पल बन सकता है। आज हम जानेंगे — भगवद गीता अध्याय 12 श्लोक 18-19, जो बताते हैं ऐसे भक्तों के गुण जो हर परिस्थिति में स्थिर रहते हैं।" "🕉️ 🙏 जय श्रीकृष्ण! भारतीय जीवन-दर्शन की दृष्टि से किसी भी ग्रंथ की वास्तविक उपयोगिता इस बात पर निर्भर करती है कि वह मानव को उसके परम लक्ष्य तक पहुँचाने में कितनी सहायक सिद्ध होती है। इस कसौटी पर अगर कोई ग्रंथ सर्वाधिक खरा उतरता है, तो वह है – श्रीमद्भगवद्गीता। यह न केवल हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, बल्कि आत्मा की मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।"

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 17 - 🔥सच्चे भक्त की पहचान🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 17 - 🔥सच्चे भक्त की पहचान🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 16 - 🔥निष्काम भक्त की पहचान🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 16 - 🔥निष्काम भक्त की पहचान🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 15 - 🔥जीवन में स्थिरता पाने की कुंजी🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 15 - 🔥जीवन में स्थिरता पाने की कुंजी🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 13 से 14 - 🔥शुद्ध भक्ति के दिव्य गुण🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 13 से 14 - 🔥शुद्ध भक्ति के दिव्य गुण🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 12 - 🔥त्याग से मिलती है परम शांति🌟

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 12 - 🔥त्याग से मिलती है परम शांति🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 11 - 🔥सर्वकर्मोंके फल-त्यागसे भगवत्प्राप्ति🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 11 - 🔥सर्वकर्मोंके फल-त्यागसे भगवत्प्राप्ति🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 10 - 🔥भगवत्प्राप्ति का सरल उपाय🌟

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 10 - 🔥भगवत्प्राप्ति का सरल उपाय🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 9 - 🔥 मन को नहीं रोक पा रहे🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 9 - 🔥 मन को नहीं रोक पा रहे🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 8 - 🔥मन-बुद्धि श्रीकृष्ण में लगाओ🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 8 - 🔥 मन-बुद्धि श्रीकृष्ण में लगाओ 🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 7 - 🔥मैं तुम्हें भवसागर से क्यों निकालूंगा?🌟

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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 7 - 🔥मैं तुम्हें भवसागर से क्यों निकालूंगा?🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 6 - 🔥भगवान्‌के सगुणरूपकी उपासनाका कथन🌟

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 6 - 🔥भगवान्‌के सगुणरूपकी उपासनाका कथन🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 5 - 🔥भक्त और निर्गुण उपासक की कठिनाई🌟

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 5 - 🔥भक्त और निर्गुण उपासक की कठिनाई🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 3 से 4 - 🔥क्या निराकार ईश्वर की उपासना श्रेष्ठ है?🌟

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 ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 3 से 4 - 🔥क्या निराकार ईश्वर की उपासना श्रेष्ठ है?🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 2 - 🔥कौन है श्रेष्ठ भक्त? जानिए श्रीकृष्ण का उत्तर🌟

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  ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 2 - 🔥कौन है श्रेष्ठ भक्त? जानिए श्रीकृष्ण का उत्तर🌟

🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 1 - 🔥साकार या निराकार उपासना श्रेष्ठ?🌟

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 ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ 🕉️ गीता का सार अध्याय 12 श्लोक 1 - 🔥 साकार या निराकार उपासना श्रेष्ठ? 🌟 🙏 ""क्या आपने कभी सोचा है – भगवान तक पहुँचने का सच्चा मार्ग कौन सा है? ज्ञान की गहराई या भक्ति का प्रेम?"" नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका #jagatkasaar में — जहाँ हम हर दिन करते हैं श्रीमद्भगवद्गीता के गूढ़ श्लोकों का सरल और हृदयस्पर्शी विश्लेषण। आज का श्लोक है — अध्याय 12, श्लोक 1, जहाँ अर्जुन पूछते हैं – भक्त बड़ा या ब्रह्मज्ञानी? तो चलिए इस दिव्य प्रश्न के भाव में उतरते हैं... 🚩 🕉️ 🙏 जय श्रीकृष्ण! भारतीय जीवन-दर्शन की दृष्टि से किसी भी ग्रंथ की वास्तविक उपयोगिता इस बात पर निर्भर करती है कि वह मानव को उसके परम लक्ष्य तक पहुँचाने में कितनी सहायक सिद्ध होती है। इस कसौटी पर अगर कोई ग्रंथ सर्वाधिक खरा उतरता है, तो वह है – श्रीमद्भगवद्गीता। यह न केवल हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, बल्कि आत्मा की मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। अब रुकिए — एक सवाल है आपसे... क्या आप सच में इस दिव्य ज्ञान को अधूरा छोड़ना चाहेंगे? थोड़ा सोचिए… जब किसी को स्वयं प्रभु की वाणी सु...