ईश्वर अर्जुन संवाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 47 - ध्यान की शक्ति #BhagavadGita
"श्री हरि बोलो ग्रंथराज श्रीमद्भगवद्गीता जी की जय ||" "जय श्री कृष्ण! स्वागत है आपका 'गीता सार' में, जहाँ हम हर दिन श्रीमद्भगवद्गीता के एक श्लोक पर चर्चा करते हैं। आज का श्लोक है Chapter 6, Shlok 47, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को ध्यान और ईश्वर के प्रति समर्पण का महत्व बता रहे हैं। आइए, इस श्लोक को समझते हैं। पिछले वीडियो में, हमने Chapter 6, Shlok 46 में ज्ञान और ध्यान की शक्ति के बारे में चर्चा की। हमने यह समझा कि ध्यान करने वाला व्यक्ति कैसे सभी कर्मों से ऊपर होता है। आज का श्लोक, Chapter 6, Shlok 47, यह बताता है कि ईश्वर में आस्था और समर्पण रखने वाला व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ होता है। भगवान कृष्ण अर्जुन को यह बता रहे हैं कि ध्यान की शक्ति से आत्मा और परमात्मा का मिलन संभव है। आइए, इस श्लोक को विस्तार से समझते हैं।" "॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ ""गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः । या स्वयं पद्म नाभस्य मुख पद्माद्विनिः सृता ।। अथ ध्यानम् शान्ताकारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशं विश्व आधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । लक्ष्मी कान्तं...