गीता का सार (Geeta Ka Saar) अध्याय 9 श्लोक 16 से 18 - भगवान ही सबकुछ हैं!

॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ गीता का सार (Geeta Ka Saar) अध्याय 9 श्लोक 16 से 18 - भगवान ही सबकुछ हैं! #Geetakasaar #jagatkasaar "🔔 नमस्कार दोस्तों! क्या कभी आपने सोचा है कि भगवान सिर्फ मंदिरों में नहीं, बल्कि हमारे हर कर्म, हर भक्ति, हर यज्ञ में समाहित हैं? आज हम श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 9 के श्लोक 16-18 को समझेंगे, जहाँ श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे स्वयं यज्ञ, मंत्र, हवन, स्वाहा, औषधि, और फल हैं। तो, क्या हमारी पूजा और कर्मों का सीधा संबंध भगवान से है? आइए इसे गहराई से समझें! 👇 सबसे पहले, एक सवाल आप सबके लिए! 💡 क्या आपने कभी किसी कठिन समय में गीता का कोई श्लोक पढ़कर समाधान पाया है? कमेंट में बताइए!" "पिछले श्लोक (अध्याय 9 श्लोक 15) में हमने जाना कि भगवान की भक्ति के विभिन्न रूप होते हैं और लोग अपने-अपने तरीके से भगवान को पाने की कोशिश करते हैं। आज हम इसे और विस्तार से समझेंगे कि क्यों श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे ही हर यज्ञ, पूजा और मंत्र का मूल हैं।" "👉 श्रीकृष्ण कहते हैं: ""मैं ही यज्ञ हूँ, मैं ही हवन हूँ, मैं ही मंत्र हूँ, मैं ही फल देने वाला हूँ।...